
ये कहानी तीन दोस्तों की है। जिनका नाम विक्रम, सुनील और जॉन होता है। जो बम्बई शहर में नौकरी करने के लिए आते हैं। तीनों बचपन के दोस्त, कुछ कर दिखाने का सपना लिए, इस भीड़ भाड़ वाली जगह में अपना मुक़ाम पाने के लिए दर दर भटकते हैं। उन्हें कोई भी रास्ता नज़र नहीं आता।अपने छोटे से गाँव में रह कर, कॉलेज की पढ़ाई करने वाले सुनील और बिक्रम ने कभी सोचा भी नहीं था, कि सफलता पाने के लिए इतना दर्द झेलना पड़ता है। वहीं, जॉन अपने पापा के बिज़नेस में पहले से ही संघर्ष कर चुका था।

जिस वजह से उसे इन सब चीज़ों की आदत सी हो गई थी। जॉन अच्छे से जानता था, कि सफलता इतनी आसानी से नहीं मिलेगी, क्योंकि उसने अपने पापा को दिन रात मेहनत करते हुए देखा था। तभी तीनों को सुबह से भटकते भटकते शाम हो जाती है़। लेकिन न कोई नौकरी और न ही कोई रहने का ठिकाना उनके हाथ लगता। तीनों मायूस होकर 1 छोटे से होटल में खाना खाते हैं। दरअसल उनके पास कोई ख़ास पैसे भी नहीं होते। वह तो सिर्फ़ अपनी एक दो दिन की व्यवस्था बनाकर निकले थे, उन्हें लगा था, कि आते ही उनके साथ कोई चमत्कार होगा, और उनको नौकरी मिल जाएगी। तीनों थक कर एक बिल्डिंग के गेट के पास बैठ जाते हैं। एक दो घंटा बैठे हुए गुज़र जाते हैं। तभी बिल्डिंग के चौकीदार की नज़र उन पर पड़ती है |वह ज़ोर की आवाज़ में उन्हें डांटते हुए कहता है, कौन हो तुम लोग, यहाँ क्यों बैठे हो ? तीनों अजनबी शहर में किसी को पहचानते नहीं, और न ही उनका कोई ठिकाना है। तीनों अपनी जगह पर जल्दी खड़े हो जाते हैं, और अपनी बात चौकीदार को बताते हैं। चौकीदार को तीनों की हालत देखकर उन पर तरस आता है। उसे एहसास होता है कि कुछ सालों पहले ऐसे ही वह काम माँगने आया था। तब किसी ने उसे सहारा दिया था, और आज कम से कम वह इतने बड़े शहर में छोटे से काम के साथ जीवन यापन कर पा रहा है। जॉन उन तीनों में थोड़ा समझदार होता है। वह चौकीदार से कहीं रहने के जुगाड़ की बात कहता है क्योंकि उसे पता है, कि अभी उनकी हालत किराया देने की नहीं है, तो उन्हें कोई किराया से कमरा क्यों देगा। तभी चौकीदार अपने एक दोस्त से फोन पर बात करता है, जो वही से कुछ ही दूर बंगला नंबर 17 में साफ़ सफ़ाई का काम करता है।

वह ज़ोर की आवाज़ में उन्हें डांटते हुए कहता है, कौन हो तुम लोग, यहाँ क्यों बैठे हो ? तीनों अजनबी शहर में किसी को पहचानते नहीं, और न ही उनका कोई ठिकाना है। तीनों अपनी जगह पर जल्दी खड़े हो जाते हैं, और अपनी बात चौकीदार को बताते हैं। चौकीदार को तीनों की हालत देखकर उन पर तरस आता है। उसे एहसास होता है कि कुछ सालों पहले ऐसे ही वह काम माँगने आया था। तब किसी ने उसे सहारा दिया था, और आज कम से कम वह इतने बड़े शहर में छोटे से काम के साथ जीवन यापन कर पा रहा है। जॉन उन तीनों में थोड़ा समझदार होता है। वह चौकीदार से कहीं रहने के जुगाड़ की बात कहता है क्योंकि उसे पता है, कि अभी उनकी हालत किराया देने की नहीं है, तो उन्हें कोई किराया से कमरा क्यों देगा। तभी चौकीदार अपने एक दोस्त से फोन पर बात करता है, जो वही से कुछ ही दूर बंगला नंबर 17 में साफ़ सफ़ाई का काम करता है।

चौकीदार अपने दोस्त को सारी बात बताता है। तभी उसका दोस्त कहता है कि मेरे साहब तो, अपने परिवार के साथ दो महीनों के लिए बाहर गए हैं। तब तक मैं रहने का इंतज़ाम कर सकता हूँ। यह बात सुनकर तीनों दोस्त बहुत ख़ुश हो जाते हैं, और वह जल्दी से चौकीदार से कहते हैं, कि आप हमें बता दीजिए हम उनके पास कैसे पहुँच सकते हैं ? चौकीदार कहता है, कि वह बंगला थोड़ा दूर है। रात को वहाँ कोई टैक्सी ऑटो भी नहीं मिलेगा। आज तुम लोग यही सो जाओ। कल सुबह हम साथ चलेंगे। तीनों उसकी बात मान जाते हैं। सुबह उठते ही तीनों चौकीदार के साथ बंगला नंबर 17 पहुँच जाते हैं। बंगले की ख़ूबसूरती देखकर तीनों दोस्त हक्का बक्का रह जाते हैं।

उन्हें यक़ीन ही नहीं होता, कि उन्हें इतने अच्छे बंगले में रहने का मौक़ा मिलेगा। बंगले का नौकर तीनों दोस्तों को गेस्ट रूम में ले जाता है। तीनों दोस्त रूम में पहुंचकर राहत की साँस लेते हैं। जल्दी से तीनों नहा कर तैयार हो जाते हैं, और काम की तलाश में निकल जाते हैं। अब रहने का तो ठिकाना लग चुका था। तलाश थी केवल अच्छे काम की। जिससे उनका गुज़ारा चल सके, लेकिन आज भी उनके साथ वही होता है। सुबह से शाम हो जाती है, लेकिन तीनों हताश होकर वापस अपने स्थान आ जाते हैं। नौकर तीनों के लिए खाने का इंतज़ाम करके रखता है। जिससे उन्हें बहुत ही राहत मिलती है। आज तीनों दोस्तों के लिए बांग्ला नंबर 17 की पहली रात होती है। रात को 12 बजते ही अचानक बिक्रम की नींद खुल जाती है, और वह अपने आपको बंगले के तहख़ाने में पाता है।

जहाँ पुराना सामान इकट्ठा करके रखा हुआ था। उसे समझ में नहीं आता, कि वह यहाँ कैसे पहुँचा तभी वह घबराहट में अपने दोस्तों को आवाज़ लगाता है, लेकिन किसी को कुछ सुनाई नहीं देता। तभी उसके कानों में सब कुछ सुनाई देना बंद हो जाता है, और सिर्फ़ एक औरत के रोने की आवाज़ जाती है। विक्रम चिल्लाकर पूछता है। कहाँ हो, तुम क्यों रो रही हो ? अगले ही पल बिक्रम अपने बिस्तर में होता है। वह डर के कारण पसीने से लथपथ हो जाता है, वह अपने दोस्तों को जगाता है। सुनील और जॉन दोनों उसकी बात का मज़ाक उड़ाते हैं, और कहते हैं तुमने कोई सपना देखा होगा। इस बंगले में तो हमारे अलावा कोई भी नहीं है, और विक्रम भी, अपने दोस्तों की बात का यक़ीन करके, इस घटना को बुरा सपना समझ कर नज़रअंदाज़ करके सो जाता है। सुबह उठते ही तीनों दोस्त फिर से तैयार होकर काम ढूंढने निकल पड़ते हैं, लेकिन जैसे ही वह बंगले के गेट से बाहर निकलते हैं। अचानक कोई औरत आकर बिक्रम को चिट्ठी देती है। जिसमें लिखा होता है, तुम इस पते पर जाओ तो, काम मिल जाएगा, और औरत अचानक भागते हुए उनकी नज़रों से ओझल हो जाती है।

तीनों दोस्त की सोच में पड़ जाते हैं कि हमें काम की ज़रूरत है। यह इस औरत को कैसे पता। लेकिन तीनों को काम की बहुत ज़रूरत होती है। उन्हें लगता है कि भगवान ने उनकी मदद करने के लिए किसी को भेजा होगा, और तीनों उसी दिशा में आगे निकल जाते हैं। जहाँ का पता उस काग़ज़ में लिखा होता है। यहाँ पहुँचते ही उन्हें एक बहुत ही बड़ी बिल्डिंग दिखाई देती है। दरअसल यह बहुत बड़ी कंपनी होती है, और तीनों कंपनी के गेट पर पहुँचते हैं और वहाँ के सिक्योरिटी गार्ड को चिट्ठी दिखाते हैं। सिक्योरिटी गार्ड चिट्ठी नियुक्ति विभाग के पास भेज देता है, और जैसे ही प्रबंधक को वह चिट्ठी मिलती है तो उसमें उसके मालिक का हस्ताक्षर होता है। वह उन तीनों से पूछता है। आप हमारे मालिक को कैसे जानते हैं। तभी बिक्रम जवाब देते हुए कहता है। मैं तुम्हारे बॉस का दोस्त हूं। अब प्रबंधक के पास इनको काम न देने के अलावा कोई विकल्प नहीं होता। इस कंपनी के मालिक का हस्ताक्षर, जो उस चिट्ठी पर मौजूद था। कंपनी के मालिक सात दिनों की ट्रिप पर विदेशी कंपनियों के दौरे में थे, और उस बीच उनसे कोई संपर्क नहीं था, इसलिए प्रबंधक ने उन तीनों को काम पर रख लिया, और अपने साथ उन्हें काम की जगह दिखाने ले गया, लेकिन बिक्रम अचानक ही दूसरे रास्ते की तरफ़ मुड़ जाता है, और वह सीधे बॉस के चैम्बर के सामने पहुँचता है, और दरवाज़े के ताले को पासवर्ड से खोल देता है।

कंपनी का प्रबंधक यह देखकरके आश्चर्यचकित रह जाता है। उसे यक़ीन ही नहीं होता कि जो पासवर्ड केवल कंपनी के मालिक को पता है। वह इसे कैसे पता चला। अब प्रबंधक उसे कोई ख़ास आदमी समझने लगता है। उसे पूरा यक़ीन हो जाता है, कि हो ना हो यह व्यक्ति बॉस ने हीं भेजा है, और वह उसे बिना रुके हुए अंदर जाने की इजाज़त दे देता है। जॉन और सुनील यह सब देखकर समझ नहीं पाते कि बिक्रम को यह सब कैसे पता। तभी अचानक बिक्रम सभी को बॉस के चेंबर से बाहर जाने को कहता है, और चेंबर का दरवाज़ा बंद कर देता है। कुछ ही घंटों के बाद प्रबंधक को बॉस का फ़ोन आता है, और बॉस प्रबंधक से पूछता है कि, मेरे कंप्यूटर को किसी ने इस्तेमाल किया था। तभी प्रबंधक सारी बात बता देता है। बॉस ग़ुस्से में मैनेजर को बोलता है। जल्दी से जाओ और उसे रोको नहीं तो, मैं बर्बाद हो जाऊँगा, और जैसे ही प्रबंधक चैम्बर का दरवाज़ा खोलता है, तो वह देखता है बिक्रम बेहोश पड़ा है। प्रबंधक अपने सुरक्षाकर्मियों से उसे उठाने को कहता है, और कुर्सी पर वापस बैठाता है। तभी बिक्रम को होश आता है प्रबंधक ग़ुस्से में बिक्रम को बोलता है, तुमने क्या किया ? मेरे बॉस बहुत नाराज़ है। लेकिन बिक्रम को कुछ याद नहीं कि, वह अपने बंगले के गेट से यहाँ तक कैसे आया है। दरअसल वह बंगला नंबर 17 पहले उसी बॉस का होता है, और बॉस ने बंगले को, अपने ऑफ़िस की, एक लड़की के लिए ख़रीदा था, और कभी कभी साथ रहता था जो, कि उसके कंपनी में काम करती थी। बॉस पहले से ही शादीशुदा था, और यह बात अच्छे से जानता था कि, एक ना एक दिन वह लड़की उसके लिए ख़तरा बन सकती है, इसलिए वह उसकी निजी अश्लील विडियो रिकॉर्ड कर लेता है और जब एक दिन लड़की को यह बात पता चलती है तो, दोनो में खींचा तानी करते हुए लड़की के सर में चोट लग जाती है। और वह दम तोड़ देती है। बॉस बंगला नंबर 17 के गार्डन में ही लड़की को दफ़ना देता है, और लड़की की मौत के साथ ही उसका राज दफ़न हो जाता है।

लेकिन जब उस बंगले में तीनों दोस्त हमें आते हैं तो, बिक्रम गॉर्डन में घूमते घूमते उस जगह पर अपना पैर रख देता है। जहाँ उस लड़की को दफनाया गया था। जिस वजह से उस लड़की का सीधा संपर्क बिक्रम से बन जाता है, वह बिक्रम के अंदर प्रवेश कर जाती है, और उसे क़ाबू में करके अपना बदला लेने के लिए ऑफ़िस प्रवेश करती है, और बॉस की काली करतूत को इंटरनेट में वायरल कर देती है। बॉस को विदेश से ही गिरफ़्तार कर लिया जाता है। उसका काला चिट्ठा सबके सामने खुल जाता है, और वह बेनक़ाब हो जाता है। उस लड़की ने मरने के बाद भी अपना बदला ले लिया था। अब शायद उसकी आत्मा को शांति मिल जाएगी।

तीनों दोस्त उस बंगले को बुरा सपना समझ कर भूल जाते हैं, और उस शहर को हमेशा लिए छोड़ देते हैं | और इस दर्दनाक भूतिया कहानी का अंत हो जाता है।