भूतिया अस्पताल (bhutiya hospital story in hindi)- सबसे डरावनी भूतिया कहानी हिंदी में:
भूतों की कहानियां कल्पना के आधार पर लिखी जाती है, लेकिन कल्पना भी कुछ वास्तविकता से, अभिप्रेरित होती है| भूतिया अस्पताल एक ऐसी माँ की कहानी है, जिसके दुखों के सैलाब ने, कई माताओं की गोद को खतरे में डाल दिया| एक बहुत ही पिछड़ा गाँव था| वहाँ लड़कियों की आबादी साल दर साल कम होती जा रही थी| गाँव के ज़्यादातर लोग लड़का पैदा होने को गौरव मानते थे और वहीं दूसरी तरफ़, यदि किसी के घर में, कन्या पैदा हो जाए तो, उसे हीनभावना से देखने लगते थे| उसी गाँव में चार भाइयों का, एक परिवार रहता था| सभी भाइयों की शादी हो चुकी थी, लेकिन तीन भाई जो सबसे बड़े थे, उनकी औलादों में केवल लड़कियाँ ही थीं| पूरा ख़ानदान लड़के की आस लगाए बैठा था, तभी उन्हें एक दिन सबसे छोटी बहू, जिसका नाम सीमा था, उसके गर्भवती होने की ख़बर मिलती है| पूरे परिवार में खुशियों की उमंग छा जाती है | सभी लड़का पैदा होने के इंतज़ार में, छोटी बहू का ख़ूब ख्याल रखते हैं| सीमा का पति अनिल, जोकि कपड़े की दुकान चलाता था, वह भी अपने बच्चे का बेसब्री से इंतज़ार करता है| परिवार के सभी लोग जानना चाहते थे कि, सीमा के गर्भ में लड़का है, या लड़की| वह तय करते हैं कि, सीमा को गर्भ के लिंग के परीक्षण के लिए, अस्पताल ले जाना चाहिए, लेकिन सीमा बच्चे की जाँच करने के लिए, अस्पताल नहीं जाना चाहती | दरअसल सीमा पहली बार, माँ बन रही थी और उसके लिए, लड़का या लड़की दोनों ही अनमोल थे| उसे लग रहा था कि, यदि उसके गर्व में, लड़की हुई तो परिवार के सभी लोग उससे नफ़रत करने लगेंगे और वह किसी को नाराज़ नहीं करना चाहती, लेकिन अनिल सीमा को अस्पताल ले जाने के लिए मना लेता है| वह उसे विश्वास दिलाता है कि, मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि, तुम लड़के को जन्म दो या, लड़की को, बस मुझे पिता बनना है| सीमा अनिल के साथ, अस्पताल पहुँच जाती है|
अस्पताल में अनिल का एक दोस्त कंपाउंडर था और इस वजह से, लिंग परीक्षण का काम, जल्दी हो जाता है | परीक्षण की रिपोर्ट में सीमा के गर्भ में लड़की होने की पुष्टि होती है| परिवार को जैसे ही पता चलता है कि, सीमा लड़की को जन्म देने वाली है, परिवार में मातम छा जाता है| पूरा परिवार मिलकर, अनिल को समझाता है कि, “यह लड़की हमें नहीं चाहिए| वैसे भी परिवार में इतनी सारी लड़कियाँ है और अब एक और लड़की से परेशानियां बढ़ती जाएंगी”| अनिल अपने भाइयों की बात में आ जाता है और सीमा को गर्भपात करने के लिए मनाने की कोशिश करता है| लेकिन सीमा, अनिल को ग़ुस्से से चिढ़चिढ़ाते हुए कहती है, “तुम पागल हो | मैं किसी भी क़ीमत में अपनी बच्ची को नहीं मारने वाली”| सीमा और अनिल के बीच इस बात को लेकर कई दिनों तक झगड़ा चलता है | एक दिन सीमा अचानक, अपने कमरे में बेहोश हो जाती है | अनिल उसे उठाने की कोशिश करता है, लेकिन जब उसे होश नहीं आता तो, वह उसे अस्पताल ले जाता है और इलाज के बहाने, अपने दोस्त के साथ मिलकर, सीमा का गर्भपात करवा देता है और जैसे ही सीमा होश में आती है तो, उसकी दुनिया उजड़ चुकी होती है| सीमा को पता चल जाता है कि, उसकी बच्ची अब इस दुनिया में नहीं रही| सीमा टूट जाती है| उसके परिवार वालों ने ही उसकी मासूम बच्ची छीन ली| सीमा बहुत दुखी थी और उसका ग़ुस्सा बढ़ता ही जा रहा था| अचानक वह अस्पताल के कमरे में, चादर से फाँसी लगा लेती है और कुछ ही पलों के अंदर, सीमा की धड़कनें बंद हो जाती है| सीमा के परिवार को जैसे ही पता चलता है कि, सीमा ने अस्पताल में आत्महत्या कर ली है, सभी भागते हुए अस्पताल पहुँच जाते हैं| अनिल सीमा के चले जाने से बेहद दुखी होता है| उसे अंदाज़ा नहीं था कि, सीमा बच्ची के गर्भपात से इतनी दुखी हो जाएगी कि, अपनी जान ही दे दे| जो होना था, वह हो चुका था, लेकिन अब बारी, भरपाई करने की थी| सीमा के अंतिम संस्कार के तेरह दिन गुज़रते ही, अस्पताल में सीमा की भूतिया रूह की दस्तक हो जाती है| डिलेवरी वार्ड में, भर्ती सभी बच्चे, अचानक अपने अपने बिस्तर से नीचे गिरने लगते हैं| लोगों को समझ में नहीं आता कि, एक साथ सभी बच्चे, नीचे कैसे गिर गए हालाँकि, बच्चों को ज़्यादा चोट नहीं आती, लेकिन यह घटना मरीज़ों के अंदर, भूतिया डर बैठाने के लिए काफ़ी थी| इसके बाद अस्पताल में भूत होने की अफ़वाह तेज़ी से फैलने लगती है और लोग इसे, भूतिया अस्पताल कहने लगते हैं| अस्पताल में एक औरत बच्चे के जन्म के समय, आपातकालीन हालात में, एम्बुलेंस से अस्पताल पहुँचती है| औरत की हालत गंभीर थी, इसलिए उसे अस्पताल के कम्पाउंडर, तुरंत स्ट्रेचर में उठाकर ले जाने लगते हैं, लेकिन वह उनके हाथ से छूटकर, हवा में लटक जाती है| उसे ऊपर लटका देख, वहाँ मौजूद सभी डर की वजह से, इधर उधर भागने लगते हैं और कुछ ही समय में वह ऊपर से नीचे गिरती है और उसे सर में ज़ोरदार चोट लग जाती है, जिससे उसकी जान चली जाती है| एक माँ, सीमा के ग़ुस्से की भेंट चढ़ चुकी थी| अस्पताल में रहस्यमय तरीक़े से मौत, अख़बारों की सुर्खियां बन जाती है और देखते ही देखते, अस्पताल को बंद करने की बात होने लगती है, लेकिन शहर में इससे बड़ा अस्पताल, दूसरा कोई नहीं था| इस अस्पताल को शहर की, जीवन रेखा कहा जाता था, लेकिन भूतिया अस्पताल अब केवल अफ़वाहों तक ही सीमित नहीं था| इस बात को वास्तविक आधार मिल चुका था और अब लोगों को पूरा यक़ीन था कि, अस्पताल में कोई न कोई भूत तो ज़रूर है, क्योंकि कई हादसे निरंतर हो रहे थे|
अस्पताल प्रबंधन मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए, अस्पताल में झाड़ फूँक करने के लिए, एक बहुत प्रतिष्ठित ओझा को बुलाते हैं| ओझा अस्पताल के कमरे में, मंत्रों से सिद्ध किया हुआ नीबू रखकर, सीमा की रूह का पता लगा लेता है| देखते ही देखते, नीबू का कलर सुर्ख़ लाल हो जाता है| उस कमरे में मौजूद, अस्पताल के कर्मचारी, एक दूसरे का मुँह देखने लगते हैं| ओझा अस्पताल के कर्मचारियों से कहता है कि, “इस अस्पताल में एक दुखियारी माँ की आत्मा है, जिसके बच्चे का गर्भपात किया गया था, इसलिए वह इस अस्पताल में, किसी को भी माँ नहीं बनने देना चाहती”| अस्पताल प्रबंधन को सीमा के गर्भपात के बारे में कोई जानकारी नहीं थी, क्योंकि वह गर्भपात अनिल और उसके कम्पाउंडर दोस्त ने, गुप्त तरीक़े से किया था| सच्चाई का पता लगाने के लिए, ओझा अपनी मंत्र शक्ति से सीमा की रूह को, सबके सामने बुला लेता है| सीमा का भूतिया साया आते ही, सभी चीज़ें इधर उधर बिखरने लगती है| टेबल कुर्सियाँ पलट जाती हैं और अचानक वह कम्पाउंडर, जिसने सीमा का गर्भपात किया था, अजीब हरकतें करने लगता है| उसके स्वर बदल जाते हैं| ओझा तुरंत उसे बालों को पकड़कर, वही बैठने को कहता है| दरअसल ओझा को पता चल चुका था कि, सीमा की आत्मा, कम्पाउण्डर के अंदर आ चुकी है| वह सीमा की रूह से पूछता है, “बताओ किसने तुम्हारा गर्भपात किया था| हम उसे क़ानूनन सजा दिलवाएंगे, लेकिन तुम इन मासूम बच्चों की हत्या मत करो”| तभी वह कम्पाउंडर जिसके अंदर सीमा की रूह समाई हुई थी, जोर जोर से अपना ही नाम लेकर चिल्लाता है| अजय और अनिल, दोनों ने मेरी बच्ची की ज़िंदगी छीनी है, लेकिन उसके लिए मेरे ससुराल का पूरा परिवार भी ज़िम्मेदार है| जब तक इन सब को इनकी गुनाहों की सजा नहीं मिलेगी, तब तक मैं इस अस्पताल में किसी को भी चैन से नहीं जीने दूंगी| अस्पताल प्रबंधन, अपने उस कम्पाउंडर का सारा बयान रिकॉर्ड कर रहा था और इसी रिकॉर्डिंग के दौरान, वह कंपाउंडर एक कैची लेकर, अपने गले में घुसेड़ देता है और तुरंत ज़मीन पर गिरकर, तड़पने लगता है| ओझा, भूतिया आत्मा का इतना विकराल रूप देखकर, कुछ पल के लिए, सहम जाता है|
तभी अस्पताल के कर्मचारी, कम्पाउंडर को तुरंत उठाकर, आपातकालीन कक्ष लाते हैं, लेकिन बदक़िस्मती से, वह अपनी मौत से लड़ने में असफल हो जाता है| सीमा ने कम्पाउंडर से तो अपना बदला ले लिया था, अब बारी थी, अनिल और उसके परिवार की| कम्पाउंडर की हत्या से, मामला पुलिस के संज्ञान में आता है और एक के बाद एक, कड़ी जुड़ाने के बाद, पुलिस अनिल और उसके परिवार के सभी सदस्यों को, सीमा के गर्भपात के जुर्म में, गिरफ़्तार कर लेती है| जिससे कहीं न कहीं सीमा की आत्मा को, थोड़ा शांति तो मिलती है और अस्पताल से सीमा की दहशत का साया ग़ायब हो जाता है और इसी के साथ ही भूतिया अस्पताल की हिंदी हॉरर स्टोरी समाप्त हो जाती है|
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