भूत का बच्चा (Bhoot ka baccha)- नई कहानियां बताएं (bhutiya baccha ki kahani):
हमारे आस पास भूतों की एक कल्पनिक दुनियाँ है, लेकिन हम उस दुनियाँ से बिलकुल अनजान रहते हैं| बहुत सी प्राचीन किताबों में भूतों के अस्तित्व का वृत्तान्त मिलता है| भूत का बच्चा (bhutiya baccha) कहानी, उन्हीं कल्पनिक घटनाओं से प्रेरित होकर लिखी गई है| एक छोटे से शहर में, बिंदिया नाम की एक औरत रहती थी| वह शादीशुदा थी, लेकिन उसकी कोई औलाद नहीं थी| तीन बार उसका गर्भपात हो चुका था| वह बच्चे को पाने के लिए व्याकुल रहती थी, लेकिन हर बार उसकी गोद सूनी ही रह जाती थी| बिंदिया ने औलाद को पाने के लिए कई तरह के उपाय किए थे| इसके बावजूद उसके घर का आंगन बच्चों की किलकारियों के लिए सूना था| बिंदिया का पति एक मज़दूर था और वह अपनी पत्नी से बहुत प्यार करता था| उसे भी, अपने बच्चे की चाहत थी, लेकिन ऊपर वाले की मर्ज़ी के बिना, उसका यह सपना पूरा नहीं हो सकता था| बिंदिया चौथी बार फिर से गर्भवती होती है| इस बार दोनों बड़ी उम्मीद से गर्भ के बच्चे का ख़याल रखते हैं| बिंदिया का पति, उसके खाने पीने की बहुत सी चीज़ें लाकर रख देता है और कहता है, कि इस बार तुम्हें अपने बच्चे को पूरा पोषण देना होगा, जिसके लिए तुम्हें मज़बूती से खाना पीना होगा और अपना ध्यान भी रखना पड़ेगा| बिंदिया अपनी पति की बात सुन कर सर हिलाती है| दरअसल वह अंदर से टूट चुकी है| बच्चे को पाने की, उसने अपनी सारी उम्मीदें खो दी है, लेकिन अपने पति के आत्मविश्वास को देखकर, वह अपनी हिम्मत बढ़ाती है और तय करती है कि इस बार वह माँ बनकर ही रहेगी| आधी रात होते ही, बिंदिया के पेट में दर्द शुरू हो जाता है| अचानक बिंदिया के पति की नींद खुलती है और वह बिंदिया को अपनी गोद में लेटाकर हौसला देता है, लेकिन जब दर्द बर्दाश्त के बाहर होने लगता है, तो वह अपनी पत्नी को, अपनी पीठ में लादकर, अस्पताल के लिए भागता है| रास्ते में बिंदिया, बेहोश हो जाती है| बिंदिया का पति, उसे वहीं ज़मीन पर लिटा लेता है और ज़ोर ज़ोर से मदद के लिए चिल्लाने लगता है| तभी पास में स्थित, श्मशान से एक चंडाल निकल कर आता है|
उसके हाथ में एक पानी का ग्लास होता है| वह आते ही, बिंदिया के चेहरे में पानी छिड़कता है| बिंदिया धीरे धीरे अपनी आंखें खोलती है, तभी बिंदिया की प्रसव पीड़ा बढ़ने लगती है| बिंदिया का पति उसे जोर से पकड़ लेता है और उसका हौसला बढ़ाने लगता है| श्मशान का चंडाल, अपने कपड़ों से राख निकाल कर बिंदिया के पेट में लगाता है, जिससे बिंदिया की तक़लीफ़ शांत हो जाती है और कुछ ही पल में, एक बच्चा पैदा होता है, लेकिन काफ़ी देर तक जब बच्चे में कोई प्रतिक्रिया नहीं होती तो, बिंदिया रोने लगती है, क्योंकि यह बिंदिया का चौथा बच्चा था, जो पैदा होते ही, उसे छोड़ गया| बिंदिया का पति बच्चे की मौत से दुखी हो जाता है, लेकिन वह अपनी पत्नी के सामने अपना दुख व्यक्त नहीं करता, तभी उसकी नज़र चंडाल पर पड़ती है| चंडाल हाथ जोड़कर, आँख बंद किए हुए, कोई मंत्र पड़ रहा होता है, अचानक बिंदिया के बच्चे की आँख खुल जाती है और वह किलकारी मारकर रोने लगता है| बच्चे की किलकारी सुनते ही बिंदिया और उसके पति अपने बच्चे को गले से लगाकर चूमने लगते हैं| कई सालों बाद, उन्हें संतान का सुख प्राप्त हुआ था दोनों श्मशान के चंडाल को धन्यवाद देते हैं और उसके चरणों में गिरकर, उसका अभिवादन करते हैं| चंडाल बिना कुछ बोले श्मशान मैं वापस लौट जाता है| बिंदिया का पति अपनी पत्नी और बच्चे को साथ में लेकर, घर वापस आ जाता है| दोनों अपने बच्चे के साथ बहुत ख़ुश होते हैं| एक रात बिंदिया की नज़र खुलती है, तो वह देखती है, कि उसका बच्चा कमरे मैं पैदल चल रहा है, लेकिन वह तो सिर्फ़ दो महीनों का है| बिंदिया सोच में पड़ जाती है, कि इतना छोटा बच्चा कैसे चल सकता है|
वह अपने पति को जगाती है, लेकिन गहरी नींद में होने की वजह से वह नहीं उठता| बिंदिया डरते हुए, अपने बच्चे को गोद में उठाकर, बिस्तर पर लेटा लेती है, लेकिन उसके मन में डर की दस्तक हो चुकी थी| सुबह होते ही, वह अपने पति से रात की बात बताती है| बिंदिया के पति को, उसकी बात पर भरोसा नहीं होता| उसे लगता है, बिंदिया ने कोई सपना देखा होगा और उसी को सच मान बैठी है| वह बिंदिया को समझाता है और अपने काम में चला जाता है| अपने पति के जाते ही, बिंदिया अपने बच्चे को पालने में लेटाकर, घर के काम करने लगती है| घर के काम के बाद, बिंदिया अपने बच्चे को दूध पिलाने के लिए, उसके पास जाती है और वह डर जाती है, जब अपने बच्चे को खून से भिड़ा हुआ, मुर्ग़े के पंखों के साथ खेलते देखती है | तभी पड़ोस की महिला, बिंदिया के घर आती है, और कहती है, “मेरा मुर्ग़ा नहीं मिल रहा है, क्या तुम्हारे घर में आया है” ? बिंदिया कुछ नहीं समझ पा रही थी| उसका दिल मानने को तैयार नहीं था, कि इतने छोटे से बच्चे में इतना बड़ा मुर्ग़ा खा लिया था| वह अपनी पड़ोसन से झूठ कह देती है, कि मैंने नहीं देखा है| शाम को जब बिंदिया का पति घर आता है, तो बिंदियाँ बहुत घबरायी होती है और कमरे के कोने मैं शांत बैठी होती है| वह आते ही बिंदिया से कहता है, “क्या हुआ तुम, ऐसे क्यों बैठी हो”| तभी वह अपने पति के गले लग कर रोने लगती है और कहती है, यह कोई साधारण बच्चा नहीं, क्योंकि आज, इसने पूरा ज़िंदा मुर्ग़ा ही खा लिया| बिंदिया का पति, यह बात सुनते ही हक्का बक्का रह जाता है| वह जल्दी से, उसी श्मशान की तरफ़ भागता है, जहाँ यह बच्चा पैदा हुआ था| वहाँ पहुँचते ही, उसे वही चंडाल फिर से दिखाई देता है| उनके पास पहुँचते ही, वह कहने लगता है, “बाबा वह बच्चा तो असाधारण है| क्या उसे कोई भूत बाधा आयी है” लेकिन चंडाल को सब कुछ पहले से ही पता था| वह कहता है, “तुम्हारा बच्चा तो पैदा होते ही मर गया था, लेकिन तुम लोगों के दुखों को देखते हुए मैंने एक प्रेतात्मा को, तुम्हारे मृत बच्चे के शरीर में प्रवेश करवा दिया था, जिसकी वजह से वह ज़िंदा है, लेकिन वह एक अमावस्या तक ही प्रेतात्मा उस बच्चे के शरीर में रह सकती है और उसके बाद तुम्हारे बच्चे की साँसे बंद हो जाएंगी”| चंडाल की बात सुनकर, वह उनसे इस समस्या के समाधान पूछता है|
चंडाल बताता है, कि “यह तो तुम्हारे कष्टों की शुरुआत है| अगर वह बच्चा तुम्हारे घर में रहा तो, हर दिन तुम्हारे घर में मौत का तांडव होगा, क्योंकि यह भूत का बच्चा है, लेकिन यदि बच्चे की माँ, श्मशान में सारी रात, उस बच्चे के साथ भूतिया साधना करें, तो तुम लोगों की जान बच सकती है| बिंदिया का पति अपने घर पहुंचकर, अपनी पत्नी को सारी बात समझा देता है लेकिन, वह अपने बच्चे से जुदा नहीं होना चाहती| वह कहती हैं, “जब तक मेरा बच्चा मेरे साथ है, मैं उसे जान बूझकर अपने से अलग नहीं कर सकती, भले यह मेरी जान ही क्यों न ले ले”| बिंदिया के पति को अंदाज़ा था, कि उन्होंने बहुत बड़ी आफ़त पाल ली है| वह मन में तय करता है, कि जब बिंदिया सो जाएगी तो, वह उसके बच्चे को उससे अलग कर देगा| बिंदिया का पति रात होने का इंतज़ार करने लगता है, जैसे ही बिंदिया सो जाती है, वह बच्चे को लेकर श्मशान पहुँच जाता है और चंडाल के पास जाकर कहता है, “बाबा ये आफ़त आप ही संभालो, बस हमें बचा लो”| चंडाल बच्चे को देखते ही, उसे डांटते हुए कहता है, तुमने अपने साथ साथ, मेरी मौत का भी इंतज़ाम कर लिया, जो इसे इसकी माँ के बिना ले आए| चंडाल के इतना बोलते ही, बच्चे की आंखें लाल हो जाती है और वह ज़मीन पर खड़ा हो जाता है चंडाल, बच्चे के सम्मोहन मैं वशीभूत हो जाता है और वही श्मशान में, बने हुए एक गड्ढे में गिरकर बेहोश हो जाता है| बिंदिया का पति चंडाल की दुर्दशा देखकर, डर जाता है और वहाँ से भागने लगता है, लेकिन एक अदृश्य ताक़त, उसे पैरों से पकड़कर, कई बार ज़मीन पर पटकती है, जिससे वह लहूलुहान हो जाता है और बच्चा उसे उसी गड्ढे में डाल देता है जिसमें चंडाल पहले से पड़ा हुआ है| दोनों के गड्ढे में जाते ही श्मशान में ज़ोरदार हवाएँ चलने लगती है और मिट्टी उड़कर उसी गड्ढे में जाने लगती है और देखते ही देखते दोनों ज़िंदा ही दफ़न हो जाते है| यहाँ दूसरी तरफ़ जैसे ही, बिंदिया की नींद खुलती है| उसका बच्चा उसके बग़ल में लेटे हुए मुस्कुरा रहा होता है, लेकिन बिंदिया के पति का कुछ पता नहीं चलता हुआ है वह रात भर अपने पति का इंतज़ार करती रहती है और इसी के साथ कहानी का पहला भाग समाप्त हो जाता है|