अमावस्या (Amavasya)- (Bhutiya Patni) पढ़ने के लिए डरावनी कहानियां

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अमावस्या (Amavasya)- (Bhutiya Patni ki kahani) पढ़ने के लिए डरावनी कहानियां:

भूतिया कहानी पढ़ने में रोचक तो होती हैं, लेकिन कुछ ऐसी कहानियाँ भी होती हैं, जो हमें सीधे तौर पर प्रभावित करती हैं| ऐसी ही कहानी है, अमावस्या (Amavasya) दरअसल अमावस्या की काली रात अच्छाई और बुराई दोनों के लिए एक अवसर होती है, जिसमें कई लोग साधनाएँ करके, अपनी इच्छा अनुरूप शक्तियां प्राप्त करते हैं| ऐसे ही एक भयानक अमावस्या की रात, एक औरत घने जंगल के बीच, घोर साधना में लगी हुई थी| जंगल के चारों तरफ़ भेड़ियों के चिल्लाने की आवाज़ आ रही थी, लेकिन बिना किसी से घबराए, यह औरत अकेले मंत्रों के जाप के साथ, आग जलाकर अपनी साधना कर रही थी| जैसे जैसे समय बीतता जाता है| औरत उग्र होती जाती है| वह अपनी जगह से ऊपर उठने लगती है| उसके सामने की आग, उसके साथ ही ऊपर उठती जा रही थी और देखते देखते आग की लपटें, आसमान को छूने लगती हैं और वह औरत ज़मीन पर नीचे गिर जाती है और कुछ ही पलों में उठकर खड़ी हो जाती है| अमावस्या की काली रात के प्रभाव की वजह से, उसने रूहानी शक्तियां प्राप्त कर ली थी और अब वह तैयार थी, अपना प्रतिशोध लेने के लिए| दरअसल ममता छह माह पहले, शादी करके गाँव से शहर आयी थी| वह अपने पति के साथ एक किराये के मकान में रहती थी| ममता घरेलू महिला थी| वह ज़्यादातर समय घर के कामों में लगी रहती थी| ममता के पति, बैंक में एक क्लर्क थे, उनका नाम सुरेश था और सुरेश के बॉस, उसे उसके काम की वजह से बहुत पसंद करते थे| सुरेश एक अच्छा कर्मचारी था| वह पूरी ज़िम्मेदारी से अपने साथ साथ, अपने सहकर्मियों का भी काम करवा दिया करता था| उसका स्वभाव बहुत ही संकोची था, इसलिए वह किसी को भी मना करने में हिचकता था| एक दिन उसके बॉस उसे अपने चेंबर में बुलाते हैं और कहते हैं, कि तुम्हारी नई नई शादी हुई है और तुम कहीं बाहर नहीं गए हो, जाओ अपने परिवार के साथ थोड़ा समय बिताओ| सुरेश को अपने बॉस की बात से ख़ुशी होती है और वह मुस्कुराते हुए कहता है, “ज़ी बॉस, अगले महीने अपनी पत्नी के साथ कही बाहर जाने का सोच रहा हूँ”| बॉस अपने पर्स से, कुछ पैसे निकाल कर सुरेश को दे देते हैं और कहते हैं, “यह मेरी तरफ़ से तुम्हारे लिए है, जाओ मज़े करो”| सुरेश पैसे लेकर घर आ जाता है| घर में ममता उसके लिए, खाने की तैयारी कर रही होती हैं| सुरेश, ममता को बताता है कि, बॉस ने बाहर घूमने की इजाज़त दे दी है| हम अगले हफ़्ते ही चलते हैं| दोनों बाहर जाने के लिए काफ़ी उत्साहित होते हैं| सुरेश के मोबाइल में अचानक, बॉस का फ़ोन आता है और वह कहते हैं, “मैंने तुम्हारे घूमने के लिए, एक कार बुक की है, जो तुम्हें अच्छे से सारी जगह घूमाएगी”| सुरेश अपने बॉस को धन्यवाद देता है और कहता है, “बॉस आप क्यों परेशान हो रहे हैं| हम ख़ुद ट्रेन से चले जाते हैं”| लेकिन बॉस की ज़िद करने पर, सुरेश उनका ऑफ़र मान लेता है| ममता सुरेश से कहती है कि, हमें कुछ सामान लेना होगा, चलो आज बाज़ार चलते हैं| अगले दो दिनों में इन्हें निकलना है, इसलिए सुरेश बाज़ार जाने को तैयार हो जाता है| सुरेश और ममता बाज़ार जाकर, अपने पसंद के कपड़े और कुछ खाने पीने की वस्तुएँ ख़रीदते हैं| वह अपने सफ़र के लिए तैयार हो जाते हैं| बॉस की भेजी हुई कार, दरवाज़े पर आकर समय से खड़ी हो जाती है| सुरेश कार की डिग्गी में, सारा सामान जमाता है और दोनों कार में बैठकर, निकल पड़ते हैं, अपने रोमांचक लम्हों की ओर|

अमावस्या (Amavasya)- (Bhutiya Patni ki kahani) पढ़ने के लिए डरावनी कहानियां: jabardast bhutiya kahani
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ख़ूबसूरत वादियों का मज़ा लेते हुए, सुरेश और ममता गाने गुनगुना रहे थे| ड्राइवर गाड़ी चला रहा था, अचानक ड्राइवर गाड़ी का दरवाज़ा खोलकर, बाहर कूद जाता है और गाड़ी का संतुलन बिगड़ जाता है, जिससे गाड़ी पहाड़ी से नीचे, जंगली रास्ते की तरफ़ मुड़ जाती है और तेज़ी से जाकर, एक पेड़ से लटक जाती है| ममता और सुरेश, ज़ोर ज़ोर से मदद के लिए, चिल्लाने लगते हैं| तभी सड़क के ऊपर एक कार आकर रूकती है, लेकिन इनकी कार रोड से, थोड़ा नीचे एक पेड़ के सहारे लटकी होती है| कार की आवाज़ सुनने से दोनों को लगता है कि, अब शायद यह बच जाएंगे| तभी ऊपर से एक व्यक्ति, बड़ी सी लकड़ी लेकर, इनकी कार को ज़ोर ज़ोर से धक्का देने लगता है| ममता और सुरेश को कुछ समझ नहीं आता कि, यह इन्हें बचाना चाहते हैं, या मारना| अचानक सुरेश की नज़र, अपने बॉस पर पड़ती है जो, कि रोड के किनारे खड़े होकर सिगरेट पी रहा होता है| सुरेश ज़ोर से आवाज़ लगाता है, “बॉस हमें बचाइए”| लेकिन सुरेश के बॉस, एक बहुत बड़ा पत्थर लाकर, कार के ऊपर पटक देते हैं और पेड़ की लकड़ी टूट जाती है, जिससे कार खाई में जा गिरती है| खाई गहरी होने के साथ साथ, जानवरों से भी भरी है| दरअसल यह बहुत बड़ा जंगल है, जो ज़मीन की बहुत गहराई में फैला हुआ है| यहाँ गिरने के बाद आज तक कोई नहीं बचा, इसलिए सुरेश के बॉस ने, यही जगह चुनी थी, सुरेश की मौत के लिए| सुरेश के बॉस उसे क्यों मारना चाहते थे, यह बात दोनों के लिए, राज रह जाती है और गाड़ी खाई समा जाती है| अगली सुबह अख़बार में हादसे की ख़बर छपी होती है, लेकिन साथ ही करोड़ों रुपया की हेरा-फेरी का आरोप भी, सुरेश के ऊपर लगा होता है| दरअसल सुरेश के बॉस ने, ऐसे कई खातों से सुरेश के ज़रिए पैसे निकलवाएं थे, जिन खातों में लंबे समय से कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई और बैंक की ऑडिट के दौरान पाया गया, कि सुरेश के सिग्नेचर की मदद से, यह काम हुआ है, लेकिन अब सुरेश दुनिया में ही नहीं है, वह नहीं कह सकता कि, यह काम उसके बॉस ने उससे करवाया है| सुरेश और ममता की दुनिया उजड़ चुकी थी, लेकिन होनी को कुछ और ही मंज़ूर था| हादसे में सुरेश की मौत हो जाती है, लेकिन क़िस्मत से ममता की जान बच जाती है| खाई में गाड़ी गिरने के बाद ममता बेहोश हो चुकी थी| तभी एक जंगली व्यक्ति की नज़र, इनकी कार पर पड़ती है और वह दोनों को कार से बाहर निकालता है| सुरेश मर चुका होता है, लेकिन ममता की साँस चल रही होती है, इसलिए वह उसके पति को छोड़कर, ममता को अपने साथ अपने क़बीले ले आता है| यह कबीला बहुत ही ख़ूँख़ार, वनवासियों का था जो, कि काली शक्तियों के स्वामी थे|

अमावस्या (Amavasya)- (Bhutiya Patni ki kahani) पढ़ने के लिए डरावनी कहानियां: anokhi bhutiya kahani
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वह ममता को, अपनी औषधियों से कुछ ही दिनों में ठीक कर देते हैं| ममता उनकी भाषा समझने में असमर्थ होती है, लेकिन अपने वह इशारों से बातों को समझा पा रही थी| वह सिर्फ़ इतना जानती थी कि, उसके पति के बॉस ने ही, उनकी जान ली है| अब वह बदला लेना चाहती थी| उसे कोई रास्ता नज़र नहीं आ रहा था| वह तय करती है कि, इन्हीं के बीच में रह कर, वह काली शक्तियां प्राप्त करेगी और अपने दुश्मन का सर्वनाश करेगी और कहानी वहीं आ जाती है, जहाँ से शुरू हुई थी| ममता घने जंगलों में काली शक्तियां प्राप्त कर चुकी थी और अब वह इतनी ताक़तवर थी कि, पलक झपकते ही वह किसी भी स्थान में पहुँच सकती थी| उसके साथ भूतों का पूरा समूह चलता था| उसके एक इशारे पर, किसी भी व्यक्ति को खाख में मिलाया जा सकता था| ममता एक मॉडर्न लड़की बन कर, बॉस के दफ़्तर पहुँच जाती है| दरअसल ममता को सुरेश के बॉस ने कभी नहीं देखा था, इसलिए वह उसे पहचान नहीं पाते, लेकिन अब वह कोई साधारण लड़की नहीं, बल्कि काली शक्तियों की महारानी थी| उसे काली शक्तियों की वजह से पता चल चुका था कि, आखिर बॉस ने उसके पति को क्यों मारा| वह अपने पति को निर्दोष साबित करना चाहती थी और असली गुनहगार को सज़ा देना| ममता ने काली शक्तियों के प्रभाव से, एक आकर्षित रूप धारण किया था, जिसे देखते ही सुरेश के बॉस मोहित हो जाते हैं| ममता, बॉस से झूठ कहती है कि, मेरे पिता के खाते में करोड़ों रुपया है, लेकिन वह खाता, किसी और का होता है जो, इस दुनिया से जा चुका था और उसके बेटे भी उस खाते के बारे में नहीं जानते, लेकिन ममता को अपनी काली शक्तियों से, उस खाते की जानकारी मिल जाती है, इसीलिए वह उदाहरण की तरह, उसी बैंक खाते का इस्तेमाल करती है| बॉस खाते का बैलेंस देखकर दंग रह जाते हैं| उन्हें लगता है कि, अब लंबा हाथ मारने का मौक़ा मिला है| तभी बॉस कहते हैं, “जी मैडम, यह तो बहुत आसान है, लेकिन इसके लिए 50 प्रतिशत मुझे चाहिए”| ममता तुरंत हाँ कर देती है| तभी वह अपने एक क्लर्क को बुलाते हैं और कहते हैं कि, जाओ मैडम के खाते से पैसे, निकालने की प्रक्रिया पूरी करो| क्लर्क बैंक में नया था, उसे बॉस की काली करतूत नहीं पता कि बॉस कैसे निर्दोश कर्मचारियों को ग़ैरक़ानूनी तरीक़े से, पैसे कमाने के लिए इस्तेमाल करके, उन्हें जुर्म में फँसाता है|

अमावस्या (Amavasya)- (Bhutiya Patni ki kahani) पढ़ने के लिए डरावनी कहानियां: super bhutiya kahani
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क्लर्क बाहर चला जाता है| इसी दौरान सारी बातें ममता रिकॉर्ड कर लेती है ताकि, उसे मारने से पहले, अपने पति को निर्दोष साबित करने के सबूत हासिल कर लें| बॉस का आदेश पाते ही, क्लर्क मुद्रा आहरण की प्रक्रिया प्रारंभ कर देता है और बॉस के चेंबर में ख़ूनी खेल शुरू हो जाता है| खिड़की के कोने कोने से, कांच के टुकड़े टूटकर बॉस के शरीर में घुस जाते हैं और वह दर्द से चीख रहा होता है| ममता भूतों की मदद से, बॉस के शरीर के टुकड़े टुकड़े करवा देती है| यह सब इतनी जल्दी होता है कि, किसी को संभलने का मौक़ा नहीं मिलता| बैंक में उपस्थित लोगों में, अफ़रातफ़री मच जाती है| बॉस के चैम्बर को खून से लाल देख, सभी डर से काँपने लगते हैं| ममता ने अपना बदला ले लिया था| ममता चैम्बर से बाहर आकर, अपने आप को पुलिस के हवाले कर देती है| ममता इतनी शक्तिशाली ताक़तों की मालिक थी अगर वह चाहें तो, उसे कोई हाथ भी नहीं लगा सकता था, लेकिन वह अपने पति को निर्दोष साबित करने के लिए, आत्मसमर्पण कर देती है और सुरेश का केस दोबारा शुरू किया जाता है और कुछ ही महीनों में, सुरेश निर्दोष साबित हो जाता है और पाया जाता है, कि सुरेश के बॉस ने ही, सारे अपराध किए थे और लंबे समय से, वह ऐसी ही गतिविधियाँ करता चला आ रहा था| उसको क़ानूनी मापदंडों के अनुसार अपराधी माना जाता है, लेकिन अब वह इस दुनिया में नहीं था, इसलिए उसे दोबारा सज़ा नहीं दी जा सकती थी, लेकिन उसकी हत्या के जुर्म में, ममता को सजा काटनी पड़ती है और ममता के बदले के साथ यह कहानी भी समाप्त हो जाती है|

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